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चिड़िया घर में परवेश 10/03/2021. P124

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                   चिड़िया घर में परवेश                          /////// स्कूल से मैं ६ कक्षा से ११ कक्षा तक हर बार या यू कहे की हर साल टूर पर जाता था। एक बार मैं और मेरे दोस्त स्कूल की तरफ से टूर पर गए ये तो मुझे याद नहीं की किस क्लास से गए थे। उस दिन कुछ दोस्त जैसे पवन और दिलीप का आने का मन नहीं था लेकिन फिर भी आए। क्योंकि आप सभी लोग जानते है। की स्कूल के टूर का मजा ही कुछ और होता है हमारे दोस्तो में एक बीमार था। लेकिन उसको भी घर जाकर जबरन उठा कर तैयार होने तक रुके और फिर साथ आए जहां स्कूल बस खड़ी थी। सभी लोग दिए वक्त पर आ गए और बस मे बैठने के बाद गिनती हुई सभी स्टूडेंट्स की उसके बाद उसके बाद बस चल पड़ी रास्ते में सर से पूछने पर पता चला की इस बार का टूर चिड़िया घर जायेगा। दो घंटे बस में बैठने के बाद बोर से होने लगे थे। क्योंकि ट्रैफिक बहुत था उस दिन करीब २:५ घण्टे बाद हम लोग चिड़िया घर पहुंच गए और बस से उतर कर लाइन में खड़े हो गए फिर चिड़िया घर का मैनेजर आया और उसने कहा क...

टूर के अगले दिन स्कूल केसा रहा 19/01/2021 P/123

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           टूर के अगले दिन स्कूल कैसा रहा //////// शाम के करीब ५ बजे होंगे फिर सभी लोग बस के पास आ गए और हमारा टूर ख़तम हुआ सभी लोग बस में बैठकर वापस आ गए। स्कूल के पास बस रुकी और सभी लोग - अपने अपने घर चले गए। अगले दिन क्लास में सभी विद्यार्थी बात कर रहे थे कि सबने क्या - क्या किया सबसे ज्यादा मजा तो ()ले रहा था। कि उसने कैसे लड़की को छेड़ा और नाम शशि राज का आया। और मुझे गुस्सा भी आ रहा था। और आश्चर्य भी था। कि उसके पास इतनी हिम्मत आयी कहा से हम सभी लोगो ने कई - कई बार फोटो खीचा था ओ भी फोन था नोकिया म्यूजिक एक्सप्रेस थोड़ी ही देर में अजय सर क्लास में आए और पूछा कि कल किसने - किसने शरारत किया था तो सबने सोचा कि हा किया तो पिटाई पड़ेगी लेकिन किसी के हा न कहने पर सर ने सबको दाट लगाया कि कल का दिन मौज़- मस्ती करने का था। तो क्यों नहीं किया। वैसे तो रोज स्कूल बंक करते हो और मौज करते हो लेकिन जब मौज करना था। तो कुछ नहीं किया लेकिन से को नहीं पता था। कि उनके प्यारे विद्यार्थियों ने शराफ़त का काम तो कभी किया ही नहीं था। सर ने कहा यही दिन है मौज मस्ती करने का जब ब...

लोटस टेंपल टूर 24/12/2020. P/122

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                       लोटस टेंपल टूर  //////// टेंपल से निकल कर हमारे ग्रुप ने साइड के ही एक पार्क में खाना खाया और उसके बाद हमारा अगला घूमने का स्थान था राजघाट सभी छात्र के एक साथ आ जाने के बाद हम सभी फिर से स्कूल बस में बैठ कर राजघाट के लिए चल दिए। राजघाट पहुचने के बाद सभी लोग बस से उतरकर एक जगह रुक गए फिर टीचर ने बताया कि यहां पर गांधी जी कि समाधि है। उसके बाद हम लाइन लगकर राजघाट पार्क में प्रवेश कर गए उसके बाद फिर तो को रूल नहीं हम लोग सबसे पहले स्कूल के टीम से अलग हुए। हम सभी दोस्त एक जगह रुक गए जब सभी छात्र आगे निकल गए टीचर के साथ तो हम लोग राजघाट में बिल्कुल अंदर कि तरफ़ चले गए जहां छोटे छोटे तालाब बने हुए थे और बत्तख तैर रही थी तालाब मै कुछ कमल के फूल भी खिले थे। जो देखने में अत्यनंत मोहक लग रहे थे। और तरह तरह के डिज़ाइन के चित्र करी फूलो से कि गई थी छोटे छोटे पौधों को डिज़ाइन से काटा गया था। जो देखने में बहुत ही सुन्दर लग रहे थे। हम तीन दोस्त साथ होकर घूमने लगे कुछ देर तक घूमने के बाद हम तीनो दोस्त बापू कि समाधि ...

30/11/2020. P/121

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 हिन्दी/ /////// लोटस टेंपल के अन्दर शोर करने के कारण वहा के स्टॉफ ने हम लोगों को जल्दी है बाहर निकाल दिया लेकिन बाहर निकाले जाने का अफ़सोस हम मै से किसी को नहीं था। हम स्कूल दोस्तो ने एक ग्रुप बना लिया जिसमे मै, दीपक, पवन , स्वराज, संजय, शोरभ, दिलीप थे। हम टेंपल से बाहर निकलने वाले रोड पर चलने लगे हमारे आगे लड़कियों का काफिला, झुंड चल रहा था। और दिलीप बगल से निकल कर मेरे पीछे आ गया मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि दिलीप क्या करने वाला है दिलीप ने मेरे बगल से हाथ आगे करके मेरे आगे चल रही लड़की की चोटी खीच दी और हाथ तुरन्त पीछे कर लिया उस लड़की ने पीछे मुड़ कर घुर कर मुझे देखा मै अपना सर ना में हिलाया फिर से हम लोग चलने लगे दिलीप ने फिर से मेरी बगल से हाथ ले जाकर मेरे आगे चल रही लड़की कि चोटी फिर से खीच दी और हाथ तुरन्त पीछे कर लिया इसबार लड़की ने झगड़ा करने के लिए गुस्से से पीछे मुड़ कर मुझे देखा मेरी तो सासे अटक गई अब थप्पड़ पड़ने वाला है और हमारे थोड़ी दूर पर ही लेडी कॉन्स्टेबल पाइप का डंडा लेकर खड़ी थी। उससे पीटने का दर और पुलिस वाले भी थे। उनका भी डंडा याद आया साथ ही स्कूल कि ...

18/11/2020. P/120

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 हिन्दी/ /////// फब्बारे के अंदर लोग एक रुपए और दो रुपए के सिक्के उछाल के डाल देते थे। और पानी साफ था। जिसके कारण फब्बारे के तल में  में बहुत सारे सिक्के दिख रहे थे। लेकिन स्कूल के लडके कहा मानने वाले थे। एक लडके ने आस- पास देखा जब स्टाफ टैंपल और अध्यापक कि नजर नहीं पड़ रही थी। तो तुरन्त सिक्के निकालने के लिए पानी में हाथ डाला लेकिन सिक्के बहुत नीचे थे जिसके कारण उस सिक्के नहीं मिले ये समझते देर नहीं लगी कि अपवर्तन के कारण सिक्के पानी में बहुत उपर दिख रहे है। जबकि वो बहुत नीचे थे। उसके बाद किसी ने सिक्के निकालने कि कोशिश नहीं कि क्योंकि सभी को पता चल गया कि कोशिश करना ब्यर्थ है। और सिक्के भी नहीं मिलेगा और अध्यापक के देखने पर पिटाई अलग से होगी। हमारे आगे कि ग्रुप लड़कियों को ग्रुप था। ओ भी किसी स्कूल से थी लेकिन उनका ड्रेस स्कूल वाला नहीं था। उसके बाद हम सभी लोग लोटस टैंपल के अंदर गए। जो कि बहुत बड़ा हॉल था। किसी ने कहा कि अगर कोई आवाज करेगा तो आवाज गुजेगी तो बस बताने कि देर थी। शुरुआत किसी एक ने ट्राई से किया तो सच - मुच में आवाज गुजी फिर तो हर कोई अपनी आवाज कि गुज सुनाई देने...

31/10/2020. P/119

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 हिन्दी/ /////// स्कूल में सबसे बड़ा और मजेदार दिन होता था। जब स्कूल कि तरफ़ से दिल्ली घूमने या टूर पर जाते थे तब तो दोस्तो के संग मौज मस्ती की कोई सा ही नहीं होती थी। खास कर मेरे कमिने ,पागल दोस्त ऎसी हरकते करते थे। की हसी रुकने का नाम ही नहीं लेती। आठवीं क्लास से जब मै मेरे दोस्तो के साथ टूर पर गया। तो मै और मेरे दोस्तो ने लड़- झगड़ कर खिड़की वाली सीट ली। और बस चल पड़ी किसी को नहीं पता था कि कहा जा रहे है। अध्यापक ने कहा कि हम लोग कहा का रहे है यह एक आश्चर्य है। जब हम लोग मजनू के टीला के पास ट्रैफिक होने की वजह से रुके तो क्लास के लडको ने पास से ही जाते छक्के को बोला डार्लिंग चल रही है क्या इस बात पर छक्के ने खूब गाली दिया वो गाली बकता था जब तक स्कूल बस चली नहीं गई। कुछ देर बाद बस रुकी तो पता चला कि हम लोग लोटस टेंपल घूमने आए है। उसी दिन और भी स्कूल के टूर आए थे जिसमे लडके और लड़कियां भी थी ये देख के क्लास के लडके तो बोले ठीक जगह आए है। जो कुछ देर पहले बोल रहे थे कि बहुत बोरिंग सी जगह है। अध्यापक ने कहा सभी लोग लाइन में चलेंगे एक दूसरे का हाथ पकड़ कर। सभी ने हा में सर हिलाया सभी ...

2/10/2020. P/118

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 हिन्दी/ /////// शुभाशिका जो होम के अंदर ओपन स्कूल चलाती थी। उनके द्वारा दिया गया ८या १० पास का सर्टफिकेट गवर्नमेंट स्कूल में भी मान्ताप्राप्त था। मेरी तो दुश्मनी थी शुभाशिक वालो से क्योंकि मै ५ कक्षा से पड़ते हुए ८वी कक्षा मै पहुंचा था। और सभी कक्षा पास किया था।  ५ साल लगे थे ८ वी कक्षा मै पहुंचने के लिए लेकिन शूभाशिका वालो ने उन लडको को भी ८ वी पास करा दिया जो ठीक से हिन्दी भी पड़ता नहीं जानते थे। मेरी उनसे दुश्मनी इस लिए नहीं थी कि शुभाशीका वालो ने ओपन से विद्यर्थियों को सभी को उच्च कक्षा मै पहुंचा दिया था। बल्कि इसलिए थी की शुभशिका वाले पहले क्यो नहीं आए। और सबसे आश्चरयजनक ये था कि सभी विद्यार्थियों के सर्टिफिकट में ८० परसेंट से उपर नंबर थे। शूभशिका वालो ने सभी विद्यर्थियों का ९ में दाखिला दिलाना चाहा लेकिन प्रधानाचार्य ने मना कर दिया और कहा कि मै टेस्ट लुगा अगर पास हुए तो एडमिशन लूगा नहीं तो सभी को ९ से नीचे की कक्षा में दाखिला मिलेगा जब प्रधानाचार्य ने टेस्ट लिया तो सभी फेल हो गए और सभी को ८ वी कक्षा मै एडमिशन लिया और ८ वी में मै भी था। जो शुभशीका से आए थे। उनको ८ वी कक्...