30/08/2020. P/108

हिन्दी/
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मस्ती मजाक करते - करते ना जाने कब ७वी क्लास का वार्षिक परीक्षा पास आ गई पता ही नहीं चला। हम सभी अपने अपने काम में लग गए की किसी न किसी तरह से टीचर से हिंट लेना है कि पेपर में क्या - क्या आयेगा ये तो टीचर हमेशा बोलते थे कि जितना विषय में है और उतने में से ही आयेगा उसके बाहर से कुछ नहीं आयेगा लेकिन हम लोग कहा मानने वाले होते थे। किसी न किसी तरह ये पूछ ही लेते कि किस प्रकार के प्रशन आयेगे। लास्ट में टीचर ये बता देते कि इस तरह के प्रश्न आयेगे। साथ ही धमकी भी मिलती कि अगर कोई फेल हो गया तो उसकी खबर मै अलग से लुगा। पेपर ख़तम हुआ और मै और मेरे सभी दोस्त पास हो गए हम सभी ८ थ कक्षा में पहुंच गए थे चमत्कार ये हुआ कि पूरे क्लास में मै सेकेंड आया था इसलिए अजय सर ने मुझे इंग्लिश कि बुक खरीदने के लिए पैसे दिए थे। और वो बुक आज भी मेरे पास है। दिलीप और दीपक लंच लाते घर से मै और संजय होम से लंच ले जाते थे। होम कि रोटी देख के दीपक ये कहता कि भाई तुम लोगो की रोटी को धूप में पत्थर के नीचे रख के सूखा ले और किसी को खींच के मार दे वो मर जाएगा क्योंकि होम कि रोटी बहुत कड़क होती थी। मुझे तो क्लास में किसी का भी लंच मिल जाए तो साफ़ रविन्द्र हमारे क्लास मे लंच हमारे साथ खाता था लेकिन घर पे बोलता था कि होम वाले उसका लंच छीनकर खा जाते है एक बार मै स्कूल के गेट पर बैठा था। तो रविन्द्र कि मॉम आती है और बोलती है कि मेरे बेटे का लंच स्कूल में होम वाले खा जाते है मै प्रिंसिपल से सीकायत करुगी।








English translate/
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 Fun jokingly - do not know when the 9th class annual examination has passed, it is not known.  We all started working in our work that somehow we have to take a hint from the teacher that what will come in the paper, these teachers always used to say that as much as it is about the subject and only one will come out of it but nothing will come out of it.  We used to believe  In some way, we would have asked what kind of questions would come.  In the last, the teacher would tell that such questions will come.  Also, there was a threat that if someone fails, I will report him separately.  The paper was over and I and all my friends passed. All of us had reached the 6th class. Miracle happened that I had come in the second class, so Ajay sir gave me money to buy the English book.  And I still have that book.  Dilip and Deepak used to take lunch from home and Sanjay from home bringing lunch.  Seeing the bread of home, the lamp would say that brother, you put the bread in the sun, dry it under a stone and drag and kill someone, he will die because the bread of home was very bitter.  If I get lunch from anyone in the class, then Ravindra used to eat lunch with us in our class, but at home he used to say that home-eaters snatch his lunch and once I was sitting at the school gate.  So Ravindra's mom comes and says that my son's lunch is eaten at home in school, I will complain to the principal.






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