27/07/2020. P/107
हिन्दी/
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परीक्षा के टाइम मै , संजय , दीपक , स्वराज, और दिलीप का साथ ही रोल नंबर पड़ता था। और ब्रेंच भी साथ या आस- पास होता था। कभी - दिलीप का नंबर अगले क्लास में पड़ जाता था। हम पाचो मिल कर परीक्षा के उत्तर दिखते थे यू कहे कि किसी एक को भी कोई प्रशन का उत्तर आता होता तो हम सभी को उत्तर मिल जाता था। रोल नंबर के हिसाब से स्वराज मेरे आगे वाली सीट पर बैठता था। संजय मेरी पीछे वाली सीट पर बैठता था। और संजय के पीछे दीपक परीक्षा पेपर के सभी प्रशन के उत्तर हम सभी में से किसी न किसी को तो आता ही होता था। यदि नहीं आता तो साइड वाली डेस्क पे बैठे क्लास के स्टूडेंट से पूछते यदि उनको नहीं आता तो गाइड या फिर कुंजी प्रयोग करते नकल करने में दिलीप सबसे आगे था। वो तो कुंजी भी परीक्षा भवन में ले के आ जाता था। और चेकिंग करने पर भी पकड़ में नहीं आता था। हम नकल करते समय इतनी ज्यादा सावधानी बरतें थे कि टीचर को शक तो होता था लेकिन पकड़ में नहीं आते थे। हमारी परीक्षा कि गाड़ी स्टडी से कम और नकल से ज्यादा चलती थी और जिस दिन किसी कड़क टीचर परीक्षा क्लास में आते उस दिन मातम मनाते क्योंकि नकल नहीं चलती थी। नकल तो कोई भी टीचर नहीं करवाते थे लेकिन हम सब कर लेते थे। हम सब एक ही प्रशन के उत्तर थोड़ा घुमा फिरा के लिखते ताकि टीचर को पता न चले कि हम लोगो ने नकल किया है लेकिन वो थे हमारे टीचर हमारी सभी बदमाशियां और होशियारी पहले से ही पता होती थी।
English translate/
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At the time of examination, Sanjay, Deepak, Swaraj, and Dileep also had a roll number. And branches used to be along or around. Sometimes - Dilip's number used to fall in the next class. We used to see the answers of the exam together and said that if any one had come to answer any question, we would have got the answer. According to the roll number, Swaraj used to sit on the seat next to me. Sanjay used to sit on my back seat. And there used to be answers from Sanjay for all the questions in the Deepak exam paper. If not, then Dileep was at the forefront of copying the guide or using the key if he did not ask the class student sitting at the side desk. He used to bring the key to the examination hall. And even after checking, it was not caught. We used to be so careful while copying that the teacher was suspicious but did not get caught. Our exam used to run less than studies and more than cheating, and on the day when a teacher came to the exam class, we would be mourning because copying did not work. Nobody used to make a teacher copy, but we all used to do it. We used to write the answers of the same question a little bit, so that the teacher would not know that we have been cheated, but he was our teacher, we already knew all our miscreants and intelligence.
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