20/06/2020. P/91

हिन्दी/
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हमारे क्लास फोन लाने वाला स्टूडेंट जगदीश था। हर वीक नए नए फोन लेकर सभी स्टूडेंट को ललचाता रहता मन तो करता कि उसका एक फोन खोस ली फिर सोचता था। होम के गेट पर गार्ड वैसे ही चेक करके जमा के लेगे इसलिए कुछ नहीं कहता था। जो साथ होम का दीपक था। उसने ६ कक्षा से ही गर्वनमेंट/अलीपुर का स्कूल छोड़कर रोहिणी में प्राइवेट स्कूल में एडमिशन ले लिया था। दीपक ने मुझे भी ऑफर दिया लेकिन मैंने मना कर दिया। न्यू बिल्डिंग के क्लास में दो गेट थे मैंने दीपक , संजय , दिलीप , पवन ने लास्ट के तीन बेंच पर कब्जा कर रखा था। जो गेट के पास थे। वो लास्ट के तीन डेस्क पर कोई और नहीं बैठता था। अगर बैठ भी जाता तो हमारे आने पर उसे डेस्क चेंज करनी पड़ती वैसे भी स्कूल में हमारी क्लास बदनाम क्लास थी कही भी कुछ भी टूटा तो किसने तोड़ा ६ ब ने मेरी क्लास के स्टूडेंट इतने कमिने थे कि दूसरी क्लास के स्टूडेंट को पिट कर भाग जाते थे। कई बार इतनी ज्यादा लड़ाई होती कि दूसरे क्लास ले लडके अपने पिता तक को बुला लाते अजय पांडेय सर बहुत दुखी होते समझाते एक दो दिन तो ठीक उसके बाद फिर वही हरकत कई बार अजय सर पिटाई भी कर देते फिर भी कुछ कमिने थे जो नहीं मानते थे। ६  क्लास पास करने के बाद हम लोगो की बिल्डिंग चेंज हो गई हम लोगो को न्यू क्लास मिली जो करनाल रोड के साइड में थी।क्लास कि खिड़की से रोड पर चलती गाड़ी देखी जा सकती थी रोड के साइड में कीकर के पेड़ थे।










English translate/
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The student who brought our class phone was Jagdish.  Every week, all the students would be tempted by taking new phones and would think that one of their phones was lost.  The guard at the gate of the home would check it and collect the deposit, so he did not say anything.  Which was a home lamp.  He left the school of Government / Alipore from class 9 and took admission in private school in Rohini.  Deepak also offered me but I refused.  There were two gates in the class of New Building. I had Deepak, Sanjay, Dilip, Pawan occupying three benches of the last.  Who were near the gate.  No one else sat at the last three desks.  Even if we sat down, he would have to change the desk when we came. Anyway, our class in the school was a bad class. If anything broke, who broke it? The students of my class were so bummed that they beat the students of the other class and ran away.  Were.  Many times there was so much fighting that Ajay Pandey sir used to call his father even after taking the second class, explaining that he was very unhappy for one or two days, and then after that the same act would have beaten Ajay sir many times, yet there were some bastards who did not believe  Were.  बिल्डिंग After passing the class, the building of the people changed, we got the new class which was on the side of Karnal Road. There was a kikar tree on the side of the road.
















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