जब मुझे जीआरपी पुलिस ने पकड़ा 20/03/2020। P/2

         जब मुझे जीआरपी पुलिस ने पकड़ा 


26/04/2006 मुझे जीआरपी वालो ने पकड़ कर बाल सुधार घर भेज दिया उससे उससे पहले मेरी किसी लाइफ थी मुझे गलत सही का मतलब तो पता नहीं था जो पता था कि जिंदा केसे रहना है पैसे व भोजन के लिए में कुछ भी कर सकता था और नसा करना तो मेरी आदत सी बन गई थी इससे पहले में सिर्फ ये सोचता था कि पैसे केसे मिलेगा व खाना खा से मिलेगा जब से मैंने होस संभाला है में बहुत से ऎसे काम किए है जो जिंदा रहने के लिए जरूरी था स्टेशन से खाना पैसे लिकालना रोज मर्या का काम था चोरों व मारने वालों से केसे निपटा जाए ये मेरी पहली प्रायोरिटी थी ऎसा नहीं था कि मुझे हर रोज खाना मिल जाता था बहुत बार भूखा भी सोना पड़ा है है जब मै भूखा सोता था तब पेट पर कपड़ा बढ़ता था ताकि भूख ना लगे मेरी पसंदीदा जगह थी निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के साइड का गांव जहां 5 रूपए में 5 पिक्चर देखने को मिलती थी आने जाने के लिए इएमऊ फ्री थी टिटी का कोई डर नहीं कभी मिलते भी थे तो कुछ नहीं बोलते थे कुछ खाने का जरूर दे देते थे।






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26/04/2006 Before I was caught by GRP people and sent to the child improvement home, before that I had a life, I did not know the meaning of wrong right, who knew how to live alive, can do anything for money and food.  It was my habit to have a snack and before that I used to think that how will I get money and I will get food from it?  It was my job to deal with thieves and those who kill them every day. It was not my first priority that I used to get food every day. Many times I have to sleep hungry. When I used to sleep hungry, the cloth grew on my stomach.  Was so that I do not feel hungry, my favorite place was the village on the side of Nizamuddin railway station where 5 pictures were available for 5 rupees to come and there was no fear of emi free titty.  Even when we met, we did not speak anything, we used to give some food.



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